नंद के भवनवा से आइले दुई ललनवा
चल देखि आई
नयन भरिके नयन भरिके
नयन भरी भरी के हो
चल देखि आई
छोटे छोटे हथवा मे साजे मुरलिया,
सुंदर सो मोरपंख बाजे पायलिया,
ठुमक-ठुमक चलत देख
आईले दुई रतनवा।
चल देखि आई
गैया चरावे और मुरली बजावे,
मुट्ठी भर भर यो तो माखन भी खावे,
अरे देखी- देखी सबही के तृप्त होला मनवा,
चल देखि आई
वरणी न जाय छवी यशोदा लला की,
चंद्रमा निहारे रूप राधाप्रिया की,
निहरत युगल के, भर आये कुल नयनवा
चल देखि आई