माँ ऊँचे पर्वत वाली, करती शेरो की सवारी: भजन (Maa Unche Parwat Wali Karti Shero Ki Sawari)


माँ ऊँचे पर्वत वाली,
करती शेरो की सवारी,
अम्बे माँ,
घर में पधारो मेरी माँ,
अम्बे माँ,
घर में पधारो मेरी माँ ॥
तेरे नाम की ज्योत जली है,
दर्शन को टोली खड़ी है,
अम्बे माँ,
आरती उतारूं मेरी माँ,
अम्बे माँ,
आरती उतारूं मेरी माँ ॥

आँखे दर्शन की है प्यासी,
आजा माता मिटे उदासी,
अम्बे माँ,
चरण पखारूँ मेरी माँ,
अम्बे माँ,
चरण पखारूँ मेरी माँ ॥

हम सब भक्ति भाव ना जाने,
पूजा पाठ नहीं कुछ जाने,
अम्बे माँ,
तेरे ही गुण गाऊं ओ माँ,
अम्बे माँ,
तेरे ही गुण गाऊं ओ माँ ॥

माँ ऊँचे पर्वत वाली,
करती शेरो की सवारी,
अम्बे माँ,
घर में पधारो मेरी माँ,
अम्बे माँ,
घर में पधारो मेरी माँ ॥

दुर्गा चालीसा | आरती: जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी | आरती: अम्बे तू है जगदम्बे काली | महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् | माता के भजन
Maa Unche Parwat Wali Karti Shero Ki Sawari - Read in English
Maa Unche Parwat Wali, Karti Shero Ki Sawari, Ambe Maa, Ghar Mein Padharo Meri Maa, Ambe Maa, Ghar Mein Padharo Meri Maa ॥
Bhajan Navratri BhajanMaa Sherawali BhajanDurga Puja BhajanJagran BhajanMata Ki Chauki BhajanGupt Navratri BhajanMaa Durga BhajanMata BhajanAshtami BhajanMahalaya BhajanAmbe BhajanMaa Jagdambe Bhajan
अगर आपको यह भजन पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!


* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

जब भक्त बुलाते हैँ हरि दौड़ के आते हैँ - भजन

जब भक्त बुलाते हैँ, हरि दौड़ के आते हैँ ॥ वो तो दीन और दुःखीओं को ॥

भस्म तेरे तन की, बन जाऊं भोलेनाथ: भजन

भस्म तेरे तन की, बन जाऊं भोलेनाथ, भक्ति में तेरी, रम जाऊं भोलेनाथ, शाम सुबह गुण तेरा, गाऊं भोलेनाथ,
भक्ति में तेरी, रम जाऊं भोलेनाथ ॥

करते सब पर दया की नज़र, शिव भोले शंकर: भजन

करते सब पर दया की नज़र, शिव भोले शंकर, बाबा भोले बाबा बाबा भोले बाबा, बाबा भोले बाबा बाबा भोले बाबा ॥

भोले बाबा तेरे दरबार में जो आते हैं: भजन

भोले बाबा तेरे दरबार में जो आते हैं, झोलियां भरते है खाली नहीं वो जाते है, झोलियां भरते है खाली नहीं वो जाते है ॥

क्या वो करेगा लेके चढ़ावा: भजन

क्या वो करेगा लेके चढ़ावा, सब कुछ त्याग के बैठा कहीं, भक्त नहीं वो भला है ढूंढ़ता, गुण देखे गुणगान नहीं,
मैं कहता नहीं श्रद्धा है बुरी, पर कर्म तराजू धर्म वही, भक्त नहीं वो भला है ढूंढ़ता, गुण देखे गुणगान नहीं ॥