कृष्ण कन्हैया आज तुम्हारे,
हाथ में राखी बांधूंगी,
प्रेम भाव के सिवा कन्हैया,
तुमसे कुछ नहीं मांगूगी,
तुमसे कुछ नहीं मांगूगी ॥
इस राखी के तार तार में,
प्यार छुपा है बहना का,
सौगंध है मेरी तुम्हे कन्हैया,
कहना मानो बहना का,
मुझको अपनी बहन बनालो,
भैया तुमको मानूंगी,
प्रेम भाव के सिवा कन्हैया,
तुमसे कुछ नहीं मांगूगी,
तुमसे कुछ नहीं मांगूगी ॥
बहन द्रोपदी जैसा कन्हैया,
अपना प्यार मुझे देना,
आशा लेकर आई कन्हैया,
मुझको सदा निभा लेना,
आज से तुमको सदा कन्हैया,
रक्षक अपना मानूंगी,
प्रेम भाव के सिवा कन्हैया,
तुमसे कुछ नहीं मांगूगी,
तुमसे कुछ नहीं मांगूगी ॥
हाथ बढ़ाओ आगे कन्हैया,
इस राखी को बँधवा लो,
आशीर्वाद मुझे दे करके,
मुझको कान्हा अपना लो,
बहन सुभद्रा जैसी बनकर,
तुमसे प्रीत निभाऊंगी,
प्रेम भाव के सिवा कन्हैया,
तुमसे कुछ नहीं मांगूगी,
तुमसे कुछ नहीं मांगूगी ॥
मधुर मिलन की इस बेला में,
ये राखी स्वीकार करो,
आशा लेकर बहन खड़ी है,
सिर पे दया का हाथ धरो,
बिन बँधवाए राखी कन्हैया,
आज नहीं जाने दूंगी,
प्रेम भाव के सिवा कन्हैया,
तुमसे कुछ नहीं मांगूगी,
तुमसे कुछ नहीं मांगूगी ॥
कृष्ण कन्हैया आज तुम्हारे,
हाथ में राखी बांधूंगी,
प्रेम भाव के सिवा कन्हैया,
तुमसे कुछ नहीं मांगूगी,
तुमसे कुछ नहीं मांगूगी ॥