लूट रहा भंडार है,
मैया जी का द्वार है,
मौका बड़ा ही सुहाना,
जिन्हें चाहिए वो हाजरी लगाना,
जिन्हे चाहिए वो हाजरी लगाना ॥
मिलेगा ना इस जग में,
दरबार ऐसा,
दर से लौट जाए वो,
भक्त है कैसा,
दर पे जो भी आता है,
हर मुरादे पाता है,
मैया से क्या शरमाना,
जिन्हे चाहिए वो हाजरी लगाना ॥
मांगना ना बन्दे,
कभी भी किसी से,
लेगा वो सूद,
समेत तुझी से,
हाथ गर फैलाना है,
मौका सुहाना है,
पड़ता ना मूल भी चुकाना,
जिन्हे चाहिए वो हाजरी लगाना ॥
मांग ले तू जितना भी,
भूख ना मिट पाएगी,
‘सुनील’ तेरी चाहत,
बढती ही जाएगी,
माँगना जो अच्छा है,
दर ये माँ का सच्चा है,
माँ को ही दुखड़े सुनाना,
जिन्हे चाहिए वो हाजरी लगाना ॥
लूट रहा भंडार है,
मैया जी का द्वार है,
मौका बड़ा ही सुहाना,
जिन्हें चाहिए वो हाजरी लगाना,
जिन्हे चाहिए वो हाजरी लगाना ॥
दुर्गा चालीसा |
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