जहाँ आसमां झुके जमीं पर - भजन (Jahan Aasman Jhuke Zameen Par)


जहाँ आसमां झुके जमीं पर,
सर झुकता संसार का,
वही पे देखा हमने जलवा,
माँ तेरे दरबार का ॥
इक तिरकुट पर्वत प्यारा,
जहाँ पे भवन विशाल,
गुफा बनी एक सुन्दर सी,
बजे घंटे घड़ियाल,
स्वर्ग सा सुख वहां,
नहीं कोई दुःख वहां,
बराबर मिलता है सबको,
भिखारी हो या कोई राजा,
जहाँ आसमां झुके जमी पर,
सर झुकता संसार का,
वही पे देखा हमने जलवा,
माँ तेरे दरबार का ॥

पवन छेड़ती है यहाँ,
मधु सा मधुर संगीत,
जहां पे झरने गाते है,
प्रीत के प्यारे गीत,
दिल में रस घोलती,
वादियाँ बोलती,
नहीं धरती पे कही ऐसा,
नजारा हमने है पाया,
जहाँ आसमां झुके जमी पर,
सर झुकता संसार का,
वही पे देखा हमने जलवा,
माँ तेरे दरबार का ॥

वही पे ‘लख्खा’ हो गया,
निर्धन से धनवान,
धन दौलत शोहरत मिली,
और पाया सम्मान,
वही एक द्वार है,
सुख का संसार है,
मांगले बेधड़क दिल से,
भवानी बाँट रही सबको,
जहाँ आसमां झुके जमी पर,
सर झुकता संसार का,
वही पे देखा हमने जलवा,
माँ तेरे दरबार का ॥

जहाँ आसमां झुके जमीं पर,
सर झुकता संसार का,
वही पे देखा हमने जलवा,
माँ तेरे दरबार का ॥

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Jahan Aasman Jhuke Zameen Par - Read in English
Jahaan Aasmaan Jhuke Zameen Par, Sar Jhukta Sansaar Ka, Wahi Pe Dekha Humne Jalwa, Maan Tere Darbaar Ka ॥
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