हे जग स्वामी, अंतर्यामी,
तेरे सन्मुख आता हूँ ।
सन्मुख आता, मैं शरमाता
भेंट नहीं कुछ लाता हूँ
॥ हे जग स्वामी...॥
पापी जन हूँ, मैं निर्गुण हूँ
द्वार तेरे पर आता हूँ
॥ हे जग स्वामी...॥
मुझ पर प्रभु कृपा कीजे
पापों से पछताता हूँ
॥ हे जग स्वामी...॥
पाप क्षमा कर दीजे मोरे,
मन से ये ही चाहता हूँ
॥ हे जग स्वामी...॥
हे जग स्वामी, अंतर्यामी,
तेरे सन्मुख आता हूँ ।
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।
** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक:
यहाँ साझा करें।