जाना है मुझे जाना है,मेरे श्याम से मिलने जाना है
फाल्गुन का मेला आया है, मुझे श्याम से मिलने जाना है
इंतजार में एक बरस, मैंने गिन गिन कैसे काटे है
फाल्गुन के मेले में दिखती , अमृत की बरसाते है
उन अमृत की बरसातो में,मुझे रंग ग़ुलाल उड़ाना है
फाल्गुन का......
आसमान में लेहराते जब श्याम निशान हजारों में
पैर में छाले पड़ गए लेकिन जोश भरा जयकारों में
इस रंग रंगीले उत्सव में थोड़ा इत्तर भी छिड़काना है
फाल्गुन का मेला आया है....
लम्बी लम्बी लगी कतारे एक झलक बस पाने को
श्याम के मन में बड़ी तमन्ना देखने अपने दीवाने को
अंकित को जैसे बुला लिया वैसे ही सबको बुलाना है
फाल्गुन का मेला आया है.....