बिन पानी के नाव खे रही है,
माँ नसीब से ज्यादा दे रही है ॥
भूखें उठते है भूखे तो सोते नहीं,
दुःख आता है हमपे तो रोते नहीं,
दिन रात खबर ले रही है,
माँ नसीब से ज्यादा दे रही है ॥
उसके लाखों दीवाने बड़े से बड़े,
उसके चरणों में कंकर के जैसे पड़े,
फिर भी आवाज मेरी सुन रही है,
माँ नसीब से ज्यादा दे रही है ॥
मेरा छोटा सा घर महलों की रानी माँ,
मेरी औकात क्या महारानी है माँ,
साथ ‘बनवारी’ माँ रह रही है,
माँ नसीब से ज्यादा दे रही है ॥
ज्यादा कहता मगर कह नहीं पा रहा,
आंसू बहता मगर बह नहीं पा रहा,
दिल से आवाज ये आ रही है,
माँ नसीब से ज्यादा दे रही है ॥
बिन पानी के नाव खे रही है,
माँ नसीब से ज्यादा दे रही है ॥
दुर्गा चालीसा |
आरती: जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी |
आरती: अम्बे तू है जगदम्बे काली |
महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् |
माता के भजन