ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय ॥
चली कांवड़ियों की टोली,
सब भोले के हमजोली,
गौमुख से गंगाजल वो लाने वाले हैं ।
भोले के कांवड़िया,
मस्त बड़े मत वाले हैं ॥
सब अलग अलग शहरों से चलकर आते हैं,
कंधे पे उठा के कावड़ दौड़े जाते हैं ।
है कठिन डगर पर ये ना,
रुकने वाले हैं ॥
॥ भोले के कावड़िया...॥
कोई भांग धतूरा बेल की पत्रि लाए हैं,
कोई दूध दही मलमल के तिलक लगाए हैं ।
यह सब मस्तानी शिव के,
चाहने वाले हैं ॥
॥ भोले के कावड़िया...॥
‘नोधी’ जिद्द छोड़ो कावड़ आप उठा भी लो,
संघ ‘लव’ के शिव भोले की महिमा गा भी लो ।
‘सनी’ ‘दीपक’ भी साथ ही जाने वाले हैं ॥
॥ भोले के कावड़िया...॥