बेद की औषद खाइ कछु न करै: माँ गंगा माहात्म्य (Bed Ki Aushad Khai Kachhu Na karai: Ganga Mahatmy)


माँ गंगा मैया का गरिमामय माहात्म्य ॥

बेद की औषद खाइ कछु न करै बहु संजम री सुनि मोसें ।
तो जलापान कियौ रसखानि सजीवन जानि लियो रस तेर्तृ ।
एरी सुघामई भागीरथी नित पथ्य अपथ्य बने तोहिं पोसे ।
आक धतूरो चाबत फिरे विष खात फिरै सिव तेऐ भरोसें ।
- सैयद रसखान
Bed Ki Aushad Khai Kachhu Na karai: Ganga Mahatmy - Read in English
Maa Ganga Maiya Ka Garimamay Mahatmya ॥ Bed Ki Aushad Khai Kachhu Na Karai Bahu Sanjam Ri Suni Mosen ।..
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