बाँधा था द्रौपदी ने तुम्हे,
चार तार में ।
खूब जान लिया बाँधा,
एक पुष्प-हार में ॥
बाँधा था द्रौपदी ने तुम्हे,
चार तार में ।
खूब जान लिया बाँधा,
एक पुष्प-हार में ॥
वृंदा ने प्रेम डोर से,
बाँधा था तुम्ही को ।
वृषभानु किशोरी ने,
तुम्हे एक प्यार में ॥
॥ बाँधा था द्रौपदी ने..॥
बाँधा था तुम्हे साग खिला,
भक्त विधुर ने ।
गणिका ने सुना राम,
बड़ों की पुकार में॥
॥ बाँधा था द्रौपदी ने..॥
बाँधा था पवन पुत्र ने,
बूटी के बाण में ।
केवट ने लिया बाँधा,
पद पखार में ॥
॥ बाँधा था द्रौपदी ने..॥
दो अक्षरों के नाम से,
प्रह्लाद ने बाँधा ।
सबरी ने लिया बाँधा,
तुम्हे बैर चार में ॥
॥ बाँधा था द्रौपदी ने..॥
सदना ने रखा प्रेम,
तराजू में पकड़कर ।
किस अधम ने रखा है,
आंशुओं की धार में ॥
॥ बाँधा था द्रौपदी ने..॥
बाँधा था द्रौपदी ने तुम्हे,
चार तार में ।
खूब जान लिया बाँधा,
एक पुष्प-हार में ॥
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