अजब है भोलेनाथ ये,
दरबार तुम्हारा,
दरबार तुम्हारा,
भूत प्रेत नित करे चाकरी,
सबका यहाँ गुज़ारा,
अजब है भोलेंनाथ ये,
दरबार तुम्हारा,
दरबार तुम्हारा ॥
बाघ बैल को हरदम,
एक जगह पर राखे,
कभी ना एक दूजे को,
बुरी नज़र से ताके,
कही और नही देखा हमने,
ऐसा गजब नज़ारा,
अजब है भोलेंनाथ ये,
दरबार तुम्हारा,
दरबार तुम्हारा ॥
गणपति राखे चूहा,
कभी सर्प नही छुआ,
भोले सर्प लटकाए,
कार्तिक मोर नचाए,
आज का कानून नही है तेरा,
अनुशाशित है सारे,
अजब है भोलेंनाथ ये,
दरबार तुम्हारा,
दरबार तुम्हारा ॥
अजब है भोलेनाथ ये,
दरबार तुम्हारा,
दरबार तुम्हारा,
भूत प्रेत नित करे चाकरी,
सबका यहाँ गुज़ारा,
अजब है भोलेंनाथ ये,
दरबार तुम्हारा,
दरबार तुम्हारा ॥
Ajab Hai Bholenath Ye, Darbar Tumhara, Bhoot Pret Nit Kare Chakri, Bhajan Shiv BhajanBholenath BhajanMahadev BhajanShivaratri BhajanSavan BhajanMonday BhajanSomvar BhajanSolah Somvar BhajanJyotirling BhajanDhiraj Kant Bhajan
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अजब है भोलेनाथ ये, दरबार तुम्हारा - पं. पंडित प्रदीप जी मिश्रा
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