आज तो गुरुवार है, सदगुरुजी का वार है।
गुरुभक्ति का पी लो प्याला, पल में बेड़ा पार है ॥ 1 ॥
गुरुचरणों का ध्यान लगाओ, निर्मल मन हो जायेगा।
तन मन धन गुरु चरण चढ़ाकर, विनती बारंबार है ॥ 2 ॥
प्रभु को भूल गये औ प्यारे ! माया में लिपटाए हो।
पूर्व पुण्य से नर तन पाया, मिले न बारंबार है ॥ 3 ॥
गुरुभक्ति से प्रभु मिलेंगे, बिन गुरु गोता खायेगा।
भवसागर में डूबी नैया, सदगुरु तारणहार हैं ॥ 4 ॥
गुरु हमारे ज्ञान के दाता, भक्तों का कल्याण करो।
निर्मोही बलिहार है, अर्जी बारंबार है ॥ 5 ॥