छोटी छोटी बातों से भी बड़ी बड़ी शिक्षा कैसे दी जाय यह कोई श्री प्रभुपाद जी से सीखे। श्री प्रभुपाद जी अपने कुछ शिष्यों के साथ एक पार्क में गए, पार्क में घूमने के पश्चात वह अपने शिष्यों के साथ बेंच में बैठ गए, पास ही एक तालाब था जिसमें सुंदर बतखें तैर रही थीं। शिष्य साथ में कुछ खाने पीने की वस्तुएं भी लाये थे एवम वह लोग आपस में लाई गई खाद्य सामग्री वितरित करने लगे।
भोजन की गंध पाने पर तालाब से पांच छह बतखें उनके पास आकर पुकारने लगी
क्वेक, क्वेक प्रभुपाद ने बड़े स्नेह से उन बतखों को भोजन दिया, देखा देखी अन्य शिष्यों ने भी उन बतखों को भोजन दिया।
प्रभुपाद मुस्कुराये ओर अपने शिष्यों से बोले-देखो तालाब में सैंकड़ों बतखें हैं, किंतु उनमें से केवल यह पांच छह बतखें आकर हमसे प्रार्थना कर रही हैं एवम उन्हें इसका फल भी प्राप्त हुआ, ठीक इसी प्रकार संसार में असंख्य मनुष्य हैं किंतु कुछ-कुछ लोग ही कृष्ण की ओर बढ़ते हैं एवम कृष्ण उन्हें इसका प्रतिउत्तर भी देते हैं जिस प्रकार हमने इन बतखों को दिया।
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