जयपुर-दिल्ली हाइवे पर जलमहल के पास बंध की घाटी में स्थित श्री संकट मोचन हनुमान मंदिर दशकों पुराना है। मंदिर का नवीनीकरण, जयपुर के प्रवेश द्वार को और भी आकर्षक बनाता है। मंदिर में दक्षिण या पूर्व दिशा के प्रवेश द्वार से प्रवेश किया जा सकता है, जहाँ पूर्व द्वार पर पार्किंग की सुविधा भी उपलब्ध है। मंदिर के दक्षिण द्वार की ओर हनुमान जी की ध्यान मुद्रा में विशाल मूर्ति स्थापित है, यह मूर्ति दिल्ली से जाने वाले हर व्यक्ति को अपनी ओर आकर्षित करती है। मंदिर के नजदीक प्रसिद्ध श्री अन्नर्पूणेश्वरी देवी मंदिर तथा मनोरम पर्यटक स्थल जल महल भी स्थित है।
मंदिर के प्रमुख उत्सव हनुमान जयन्ती, पौष बड़ा महोत्सव, श्रावण मास (सावन), सावन के सोमवार एवं शिवरात्रि है। यह सारे उत्सव बड़ी ही धूम-धाम से मंदिर द्वारा मनाये जाते हैं। इन प्रमुख त्योहारों के साथ कावड़ यात्रा, शारदीय एवं चैत्र नवरात्री, दीपावली एवं अन्नकूट महोत्सव, होली मिलन भी उतनी ही ऊर्जा के साथ मनाये जाते हैं।
इन सभी हिन्दू त्योहारों के साथ-साथ मंदिर के कुछ अपने उत्सव भी है जैसे 16 अप्रैल को माँ वैष्णो देवी पाटोत्सव, 25 अप्रैल को सीताराम जी पाटोत्सव, 19 मई को गणेश जी पाटोत्सव तथा 18 जुलाई को 41 फीट हनुमान पाटोत्सव।
दशकों पहिले की बात है, एक गंगा सहाय मीणा नाम का गरीब ग्वाला अपनी गाय को बेचने हेतु गाय के मेले की ओर जा रहा था। वहाँ पर उसकी गाय रस्सी छुड़ाकर भाग खड़ी हुई। कई जगह देखने पर भी उसे अपनी गाय का कोई अता-पता नहीं मिला। इससे वह अत्यंत दुःखी हो गया। अपनी गाय की खोज में वह जंगल-जंगल भटक रहा था। तभी उसकी नजर पत्तों से ढके हुए एक स्थल पर पड़ी। उसने उस जगह की साफ-सफाई करना प्रारम्भ की, पत्ते हटाए, उसे वहाँ पत्तों से ढकी हुई हनुमान जी की मूर्ति दिखाई दी। उसने श्री हनुमान जी से प्रार्थना की कि वह यहां पर अपनी गाय को बेचकर कुछ पैसे प्राप्त करने हेतु यहाँ आया था। जिससे वह अपने परिवार का लालन पालन कर पाए। परंतु गाय के खो जाने के कारण वह बहुत ही परेशान है।
यह कहकर जैसे ही वह उस स्थल से नीचे उतरा तो उन्हें अपनी गाय नीचे खड़ी हुई मिली। वह बहुत खुश हुआ और ग्यारस के दिन उसने हनुमान जी को भोग लगाया तथा प्रण किया कि प्रत्येक महीने की ग्यारस को वह यहाँ आकर हनुमान जी को भोग लगाएगा। इसी क्रम में अन्य लोग भी इसमें शामिल होते चले गए। इस प्रकार धीरे-धीरे मंदिर का विकास प्रारंभ होने लगा।
यह ग्वाला कोई और नहीं मंदिर के ही संस्थापक श्री गंगा सहाय जी मीणा है, जिन्होंने 1965 में मंदिर की स्थापना की। इसके पश्चात 1980 में मंदिर की 11 सदस्य समिति का गठन किया गया। मंदिर के रजिस्ट्रेशन का कार्य 1995 - 96 में किया गया। सन 1995 में ही मंदिर में शिवालय बनाया गया। इसके पश्चात सन 2002 में राम दरबार तथा 2009 में गणेश जी के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की गई। इसके पश्चात सन 2012 में गंगा सहाय जी वैष्णो देवी मंदिर गए, वहां पर से वैष्णो देवी का मंदिर बनाने हेतु तीन पत्थर लेकर आए और संकट मोचन मां शेरावाली मंदिर की स्थापना की। सन 2015 में मंदिर में पहाड़ी के एक कोने पर 41 फीट ऊंचाई की विशाल हनुमान जी की प्रतिमा प्रतिष्ठित की गई। इस विशाल प्रतिमा को बनाने का कार्य केरल के कुशल कारीगरों द्वारा लगभग 2 साल में पूर्ण किया गया, जिसका लोकार्पण त्रिवेणी के महाराज श्री नारायण दास जी द्वारा अपने कर कमलों द्वारा दिनांक 18 जुलाई 2015 को किया गया। इसके पश्चात सन 2018 में छोटी काशी का मंदिर का निर्माण कार्य पूर्ण किया गया।
श्री संकट मोचन हनुमान मंदिर
पहाड़ी के कोने में 41 फीट बड़े आकार की मूर्ति
श्री संकट मोचन हनुमान मंदिर
41 फीट ऊँची श्री हनुमान ध्यान मुद्रा विशाल मूर्ति
श्री संकट मोचन हनुमान मंदिर
41 फीट ऊँची श्री हनुमान मूर्ति
श्री संकट मोचन हनुमान मंदिर
श्री संकट मोचन हनुमान मंदिर
श्री संकट मोचन हनुमान मंदिर
श्री संकट मोचन हनुमान मंदिर
श्री संकट मोचन हनुमान मंदिर
श्री संकट मोचन हनुमान मंदिर
श्री संकट मोचन हनुमान मंदिर
श्री संकट मोचन हनुमान मंदिर
निकटवर्ती श्री अन्नपूर्णेश्वरी देवी मंदिर।
श्री संकट मोचन हनुमान मंदिर
1980
मंदिर की 11 सदस्य समिति का गठन।
1995
मंदिर में शिवालय की स्थापना।
1996
मंदिर का रजिस्ट्रेशन सम्पन हुआ।
2002
राम दरबार की स्थापना।
2009
गणेश जी के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा।
2012
गंगा सहाय जी द्वारा वैष्णो देवी मंदिर की स्थापना।
2015
41 फुट ध्यान मुद्रा हनुमान मूर्ति की स्थापना।
15 September 2016
श्री कृष्ण अर्जुन संवाद झाँकी।
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