Follow Bhakti Bharat WhatsApp Channel
गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र - Gajendra Moksham StotramDownload APP Now - Download APP NowHanuman Chalisa - Hanuman ChalisaFollow Bhakti Bharat WhatsApp Channel - Follow Bhakti Bharat WhatsApp Channel

गंगोत्री - Gangotri

मुख्य आकर्षण - Key Highlights

◉ उत्तराखंड के चार धाम यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ में से एक।
◉ पवित्र नदी गंगा का उद्गम स्थल।

गंगोत्री, उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में हिमालय पर्वत श्रृंखला में स्थित है। गंगोत्री प्रसिद्ध पवित्र नदी गंगा का उद्गम स्थल है और इसका देवी गंगा से गहरा संबंध है। गंगा नदी गंगोत्री ग्लेशियर से निकलती है और भागीरथी के नाम से जानी जाती है।

हिंदू धर्म में, हिमालय पर्वत से निकलने वाली गंगा नदी को \"गंगा मैया\" और \"माँ गंगा\" कहा जाता है। गंगा नदी को हिंदू धर्म में सबसे पवित्र और पूजनीय माना जाता है। इस गंगा नदी का उद्गम स्थल गंगोत्री को माना जाता है। उत्तराखंड की छोटा चारधाम यात्राओं में से एक गंगोत्री में स्थित गंगोत्री मंदिर (माता गंगा को समर्पित मंदिर) के दर्शन के लिए हर साल लाखों भक्त गंगोत्री जाते हैं।

गंगा नदी का उत्पत्ति मूल रूप से गौमुख है, जो हिमालय के सबसे बड़े गंगोत्री हिमनद में गंगोत्री से 19 किमी की दूरी पर स्थित है। भक्त गंगोत्री से 19 किमी पैदल चलकर गौमुख पहुंच सकते हैं।

गंगोत्री की वास्तुकला:
गंगोत्री मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी की शुरुआत में किया गया था। मुख्य मंदिर 20 फीट ऊंचे चमकदार सफेद ग्रेनाइट पत्थरों से बना है। गंगोत्री मंदिर की संरचना दूर से ही भक्तों को आकर्षित करने में सक्षम है। मंदिर के पास बहने वाली भागीरथी नदी में एक शिवलिंग भी है जो ज्यादातर समय जलमग्न रहता है।

गंगोत्री के पीछे की पौराणिक कथा:
एक पुरानी कथा के अनुसार भगवान शिव ने राजा भगीरथ को उनकी तपस्या के कारण गंगा नदी को धरती पर आने का बरदान दिया था।

कहा जाता है कि जिस स्थान पर गंगोत्री में जलमग्न शिवलिंग है, वहां भगवान शिव ने माता गंगा को अपने बालों में धारण किया था। महाभारत से जुड़ी पौराणिक घटनाओं के अनुसार महाभारत के युद्ध की समाप्ति के बाद पांडवों ने इस पवित्र स्थान पर आकर युद्ध के दौरान मारे गए अपने परिवारों की मुक्ति के लिए एक महान यज्ञ किया था।

मंदिर खुलने और बंद होने का समय:
केदारनाथ मंदिर और बद्रीनाथ मंदिर की तरह, यह गंगोत्री मंदिर भी साल में केवल छह महीने भक्तों के लिए खुला रहता है। भक्त हर साल अप्रैल या मई के महीने से अक्टूबर से नवंबर के महीने तक गंगोत्री मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, अक्षय तृतीया के दौरान भक्तों के लिए गंगोत्री मंदिर के कपाट खोले जाते हैं और दिवाली के बाद आने वाली भैया दूज के बाद भक्तों के लिए गंगोत्री मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।

मंदिर के कपाट बंद होने के बाद माता गंगा की डोली को हरसिल के पास स्थित मुखबा गांव ले जाया जाता है। जहां अगले छह माह तक गंगा मैया की पूजा की जाती है। गंगोत्री की सुबह और शाम की आरती पूरी तरह से भक्तिमय होती है।

प्रचलित नाम: गंगोत्री मंदिर

समय - Timings

दर्शन समय
Akshaya Tritiya - Diwali
त्योहार

Gangotri in English

Gangotri is located in Himalayan mountain range in Uttarkashi dist in the state of Uttarakhand.

जानकारियां - Information

बुनियादी सेवाएं
Prasad, Drinking Water, Shoe Store, Power Backup, Washrooms, CCTV Security, Sitting Benches, Music System, Office, HDFC ATM
संस्थापक
भागीरथी
स्थापना
त्रेता युग
देख-रेख संस्था
उत्तराखण्ड चार धाम देवस्थानम् प्रबन्धन बोर्ड
समर्पित
माँ गंगा
फोटोग्राफी
हाँ जी (मंदिर के अंदर तस्वीर लेना अ-नैतिक है जबकि कोई पूजा करने में व्यस्त है! कृपया मंदिर के नियमों और सुझावों का भी पालन करें।)
नि:शुल्क प्रवेश
हाँ जी

कैसे पहुचें - How To Reach

पता 📧
Gangotri Temple Gangotri Uttarakhand
सड़क/मार्ग 🚗
Uttarkashi - Gangotri Road
रेलवे 🚉
Rishikesh
हवा मार्ग ✈
Jolly Grant Airport Dehradun
नदी ⛵
Bhagirathi, Ganga
वेबसाइट 📡
सोशल मीडिया
Download App
निर्देशांक 🌐
30.994233°N, 78.941226°E
गंगोत्री गूगल के मानचित्र पर
http://www.bhaktibharat.com/mandir/gangotri

अपने विचार यहाँ लिखें - Write Your Comment

अगर आपको यह मंदिर पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस मंदिर को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

लक्ष्मीजी आरती

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता। तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥

ॐ जय जगदीश हरे आरती

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे। भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥

श्री बृहस्पति देव की आरती

जय वृहस्पति देवा, ऊँ जय वृहस्पति देवा । छिन छिन भोग लगा‌ऊँ..

×
Bhakti Bharat APP