Updated: Aug 16, 2024 12:33 PM |
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Varalakshmi Pooja Date: Friday, 8 August 2025
वरलक्ष्मी व्रत देवी लक्ष्मी की प्रसन्नता का पर्व है। वरलक्ष्मी देवी वह है जो वर (वरदान) देती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह व्रत देवी पार्वती द्वारा समृद्धि और सुख की प्राप्ति के लिए किया गया था।
वरलक्ष्मी व्रत, श्रावण माह के अंतिम शुक्रवार के दिन रखा जाता है, सरल भाषा में समझे तो श्रावण पूर्णिमा अर्थात रक्षा बंधन से पहिले आने वाले शुक्रवार को वरलक्ष्मी की पूजा एवं व्रत किया जाता है। वरलक्ष्मी व्रत करने से अष्ट लक्ष्मी की पूजा के समान पुण्य प्राप्त होता है। वरलक्ष्मी व्रत करने से दरिद्रता समाप्त होती है एवं परिवार में सुख-संपत्ति की वृद्धि होती है।
वरलक्ष्मी व्रत आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु एवं महाराष्ट्र जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों में बहुत अधिक लोकप्रिय है। इस दिन ज्यादातर विवाहित महिलाएं अपने पति और परिवार के सदस्यों के कल्याण, धन, संपत्ति और वैभव के लिए यह व्रत करती हैं।
आरती: श्री गणेश जी | वरलक्ष्मी व्रत कथा | आरती: ॐ जय लक्ष्मी माता | वरलक्ष्मी पूजा, व्रत और विधि
संबंधित अन्य नाम | वरलक्ष्मी व्रत |
शुरुआत तिथि | श्रावण का अंतिम शुक्रवार |
उत्सव विधि | व्रत, पूजा, व्रत कथा, भजन-कीर्तन, महालक्ष्मी मंदिर में पूजा। |
Varalakshmi Vart is performed on the Friday before Shravan Purnima i.e. Raksha Bandhan.
वरलक्ष्मी व्रत के दिन महिलाएं अष्ट लक्ष्मी या आठ लक्ष्मी की पूजा करती हैं
❀ आदि लक्ष्मी (रक्षक)
❀ धन लक्ष्मी (धन की देवी)
❀ धैर्य लक्ष्मी (साहस की देवी)
❀ सौभाग्य लक्ष्मी (समृद्धि की देवी)
❀ विजया लक्ष्मी (विजय की देवी)
❀ धान्य लक्ष्मी (पोषण की देवी)
❀ संतान लक्ष्मी (बच्चों की देवी)
❀ विद्या लक्ष्मी (बुद्धि की देवी)
वरलक्ष्मी व्रत के लिए पूजा सामग्री
वरलक्ष्मी व्रत पूजा के लिए आवश्यक वस्तुओं को पहले ही एकत्र कर लेना चाहिए। इस सूची में दैनिक पूजा की वस्तुओं को शामिल नहीं किया गया है, लेकिन यह केवल उन वस्तुओं को सूचीबद्ध करता है जो विशेष रूप से वरलक्ष्मी व्रत पूजा के लिए आवश्यक हैं।
❀ माता वरलक्ष्मी की मूर्ति
❀ फूलों की माला
❀ कुमकुम
❀ हल्दी
❀ चंदन पाउडर
❀ विभूति
❀ ग्लास
❀ कंघी
❀ फूल
❀ पान के पत्ते
❀ पंचामृत
❀ दही
❀ केला
❀ दूध
❀ पानी
❀ अगरबत्ती
❀ कर्पूरी
❀ छोटी पूजा घंटी
❀ तेल का दीपक
वरलक्ष्मी पूजन की विधि
❀सूर्योदय से पहले उठकर नित्य कर्म समाप्त करके स्नान करें।
❀पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़कें, उसे शुद्ध करें, मां वरलक्ष्मी का ध्यान करें और व्रत संकल्प लें।
❀एक लकड़ी की चौकी पर साफ लाल रंग का कपड़ा बिछाकर मां लक्ष्मी और गणेश की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
❀चित्र के पास थोड़े से चावल रखें और उस पर जल से भरा एक कलश रखें, कलश के चारों ओर चंदन लगाना चाहिए।
❀माता लक्ष्मी और गणेश को पुष्प, दूर्वा, नारियल, चंदन, हल्दी, कुमकुम, माला चढ़ाएं और मां वरलक्ष्मी को सोलह श्रृंगार अर्पित करें।
❀इसके बाद धूप, घी का दीपक जलाएं और मंत्र पढ़ें और भगवान को भोग लगाएं।
❀पूजा के बाद वरलक्ष्मी व्रत कथा पढ़ें और आरती के अंत में प्रसाद सभी में बितरित करें।
❀इस व्रत को करने से माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
संबंधित जानकारियाँ
भविष्य के त्यौहार
28 August 202613 August 2027
शुरुआत तिथि
श्रावण का अंतिम शुक्रवार
समाप्ति तिथि
श्रावण का अंतिम शुक्रवार
उत्सव विधि
व्रत, पूजा, व्रत कथा, भजन-कीर्तन, महालक्ष्मी मंदिर में पूजा।
महत्वपूर्ण जगह
दक्षिण भारत, आंध्र, तेलंगाना, महाराष्ट्र, महा लक्ष्मी मंदिर।
पिछले त्यौहार
16 August 2024, 25 August 2023, 12 August 2022, 20 August 2021, 31 July 2020
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