हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी के दिन शबरी जयंती मनाई जाती है। यह भगवन के प्रति भक्त का प्रेम भावना का दिन है जिसे बड़े आनन्द उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीराम सहित माता शबरी की पूजा की जाती है। 2023 में 23 फरवरी को शबरी जयंती मनाई जाएगी।
शबरी जयंती की धार्मिक मान्यता
धार्मिक मान्यता है कि त्रेता युग में फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी के दिन माता शबरी को भगवान श्री राम का दर्शन हुआ था। इस अवसर पर माता ने आश्रम में स्वागत के बाद भगवान श्रीराम को जूठे बेर खिलाये थे। दूसरी ओर भगवान श्रीराम ने बड़े चाव से जूठे बेर खाए थे। जूठे बेर खिलाने के पीछे छिपी थी प्रेम की भावना। अब माता के मन में यह आशंका था कि बेर भी खट्टे होते हैं। इसके लिए माता सर्वप्रथम स्वयं बेर चख ती थी फिर वही बेर श्री राम को खिलाती थी। जब माता शबरी को खट्टे बेर मिले तो उन्होंने भगवान को नहीं दिये। शेषनाग अवतार लक्ष्मण यह दृश्य देखकर चकित रह गए। भगवान और भक्त की यह प्रेम भावना अकल्पनीय था। इसलिए हर साल शबरी जयंती बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है।
शबरी जयंती की पूजा विधि
❀ इस दिन ब्रह्म बेला में उठकर सबसे पहले भगवान श्री राम और माता शबरी का स्मरण करें और नमस्कार करें।
❀ इसके बाद घर की साफ-सफाई कर नित्य कर्म से निवृत्त हो जाएं। अब गंगाजल युक्त जल से स्नान करें और ध्यान करके नए वस्त्र धारण करें।
❀ इसके बाद आमचन करके स्वयं को शुद्ध कर व्रत का संकल्प लें और भगवान श्री राम और माता शबरी की पूजा करें, फल, फूल, दूर्वा, सिंदूर, अक्षत, धूप, दीप, अगरबत्ती आदि से पूजा करें।
❀ धर्म ग्रंथों में लिखा है कि प्रसाद में शबरी माता और भगवान श्रीराम को बेर जरूर चढ़ाना चाहिए।
❀ इसके बाद आरती करें और अपने परिवार की सलामती की प्रार्थना करें।
❀ पूरे दिन व्रत रखें और शाम को आरती करने के बाद फलाहार करें।
❀ अगले दिन आप नियमित दिन की तरह पूजा करने के बाद व्रत खोलें।
शुरुआत तिथि | फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी |
कारण | भगवान श्रीराम, माता शबरी |
उत्सव विधि | मंदिर में प्रार्थना, व्रत, घर में पूजा |
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