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✨हरतालिका तीज - Hartalika Teej

Hartalika Teej Date: Tuesday, 26 August 2025
हरतालिका तीज

हरतालिका तीज पर कुंआरी कन्याएँ अपने मन के अनुरूप पति को प्राप्त करने हेतु माँ गौरी व भगवान शंकर की पूजा एवं व्रत करती हैं। यह त्यौहार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को आता है, तथा हरतालिका व्रत हस्त नक्षत्र में किया जाता है। यह आमतौर पर अगस्त-सितम्बर के महीने में ही आती है। नई विधा के अनुसार कुछ सौभाग्यवती स्त्रियां भी हरतालिका व्रत का पालन करतीं हैं।

हरतालिका तीज का शाब्दिक अर्थ क्रमशः हरत अर्थात अपहरण, आलिका का अर्थ स्त्रीमित्र (सहेली) तथा तीज-तृतीया तिथि से लिया गया है। हरतालिका तीज की कथा के अनुसार, देवी पार्वतीजी की उनकी सहेलियां अपहरण कर उन्हें घने जंगल में ले गई थीं। जिससे कि पार्वतीजी के पिता उनका विवाह, उनकी ही इच्छा के विरुद्ध भगवान विष्णु से न कर दें।

हरतालिका तीज पर माता पार्वती(माता शैलपुत्री) और भगवान शंकर की विधि-विधान से पूजा की जाती है। हरतालिका पूजन के लिए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की बालू, रेत व काली मिट्टी की प्रतिमा बनाते हैं। इसमें भगवान शिव को धोती-अंगोछा चढ़ाया जाता है। तथा सुहाग सामग्री अपनी सास के चरण स्पर्श करने के बाद ब्राह्मणी और ब्राह्मण को दान दे दिए जाते हैंखोलें। इस प्रकार पूजन के बाद कथा सुनें और रात्रि जागरण करने का विधान है, आरती के बाद सुबह माता पार्वती को सिन्दूर चढ़ाएं व हलवे का भोग लगाकर व्रत खोलें।

केवड़ा तीज
गुजरात राज्य में महिलाएं हरतालिका तीज त्योहार को केवड़ा तीज के नाम से मनाती हैं। इस व्रत में महिलाएं भगवन को केवड़े का पुष्प अर्पित करतीं हैं।

गौरी हब्बा
हरतालिका तीज त्यौहार कर्नाटक, आंध्र प्रदेश व तमिलनाडु में को गौरी हब्बा नाम से जाना जाता है। यह त्यौहार माता गौरी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण दिन के रूप में पूजा जाता है। गौरी हब्बा के दिन महिलाएं स्वर्ण गौरी व्रत रखती हैं व माता गौरी से सुखी वैवाहिक जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं।

संबंधित अन्य नामगौरी तृतीया, गौरी हब्बा, स्वर्ण गौरी व्रत, केवड़ा तीज
शुरुआत तिथिभाद्रपद शुक्ला तृतीया
कारणदेवी पार्वती भगवान शिव को पति के रूप में पाती हैं।
उत्सव विधिव्रत, पूजा, भजन कीर्तन।

Hartalika Teej in English

On the Hartalika Teej, kunvaaree Kanya`s worship and fast on Mata Gauri and Lord Shankar to get an ideal life partner. This festival falls on the Tritiya of Shukla Paksha of Bhadrapada month, and the haratalika fast is performed in Hasta Nakshatra.

हरतालिका तीज व्रत विधि एवं नियम

हरतालिका पूजन प्रदोष काल में किया जाता हैं। प्रदोष काल अर्थात दिन रात के मिलने का समय। सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त को प्रदोषकाल कहा जाता है। हरतालिका पूजन के लिए शिव, पार्वती, गणेश एव रिद्धि सिद्धि जी की प्रतिमा बालू रेत अथवा काली मिट्टी से बनाई जाती हैं।

विविध पुष्पों से सजाकर उसके भीतर रंगोली डालकर उस पर चौकी रखी जाती हैं। चौकी पर एक अष्टदल बनाकर उस पर थाल रखते हैं। उस थाल में केले के पत्ते को रखते हैं। सभी प्रतिमाओ को केले के पत्ते पर रखा जाता हैं। सर्वप्रथम शुद्ध घी का दीपक जलाएं। तत्पश्चात सीधे (दाहिने) हाथ में अक्षत रोली बेलपत्र, मूंग, फूल और पानी लेकर इस मंत्र से संकल्प करें:
उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रत महं करिष्ये।

इसके बाद कलश के ऊपर नारियल रखकर लाल कलावा बाँध कर पूजन किया जाता हैं कुमकुम, हल्दी, चावल, पुष्प चढ़ाकर विधिवत पूजन होता हैं। कलश के बाद गणेश जी की पूजा की जाती हैं।

उसके बाद शिव जी की पूजा जी जाती हैं। तत्पश्चात माता गौरी की पूजा की जाती हैं। उन्हें सम्पूर्ण श्रृंगार चढ़ाया जाता हैं। इसके बाद अन्य देवताओं का आह्वान कर षोडशोपचार पूजन किया जाता है।

इसके बाद हरतालिका व्रत की कथा पढ़ी जाती हैं। इसके पश्चात आरती की जाती हैं जिसमे सर्वप्रथम गणेश जी की पुनः शिव जी की फिर माता गौरी की आरती की जाती हैं। इस दिन महिलाएं रात्रि जागरण भी करती हैं और कथा-पूजन के साथ कीर्तन करती हैं। प्रत्येक प्रहर में भगवान शिव को सभी प्रकार की वनस्पतियां जैसे बिल्व-पत्र, आम के पत्ते, चंपक के पत्ते एवं केवड़ा अर्पण किया जाता है। आरती और स्तोत्र द्वारा आराधना की जाती है। हरतालिका व्रत का नियम हैं कि इसे एक बार प्रारंभ करने के बाद छोड़ा नहीं जा सकता।

प्रातः अन्तिम पूजा के बाद माता गौरी को जो सिंदूर चढ़ाया जाता हैं उस सिंदूर से सुहागन स्त्री सुहाग लेती हैं। ककड़ी एवं हलवे का भोग लगाया जाता हैं। उसी ककड़ी को खाकर उपवास तोडा जाता हैं। अंत में सभी सामग्री को एकत्र कर पवित्र नदी एवं कुण्ड में विसर्जित किया जाता हैं।

भगवती-उमा की पूजा के लिए ये मंत्र बोलना चाहिए:
ॐ उमायै नम:
ॐ पार्वत्यै नम:
ॐ जगद्धात्र्यै नम:
ॐ जगत्प्रतिष्ठयै नम:
ॐ शांतिरूपिण्यै नम:
ॐ शिवायै नम:

भगवान शिव की आराधना इन मंत्रों से करनी चाहिए:
ॐ हराय नम:
ॐ महेश्वराय नम:
ॐ शम्भवे नम:
ॐ शूलपाणये नम:
ॐ पिनाकवृषे नम:
ॐ शिवाय नम:
ॐ पशुपतये नम:
ॐ महादेवाय नम:

निम्न नामो का उच्चारण कर बाद में पंचोपचार या सामर्थ्य हो तो षोडशोपचार विधि से पूजन किया जाता है। पूजा दूसरे दिन सुबह समाप्त होती है, तब महिलाएं द्वारा अपना व्रत तोडा जाता है और अन्न ग्रहण किया जाता है।

हरतालिका व्रत पूजन की सामग्री

❀ फुलेरा विशेष प्रकार से फूलों से सजा होता है।
❀ गीली काली मिट्टी अथवा बालू रेत।
❀ केले का पत्ता।
❀ विविध प्रकार के फल एवं फूल पत्ते।
❀ बेल पत्र, शमी पत्र, धतूरे का फल एवं फूल, तुलसी मंजरी।
❀ जनेऊ, नाडा, वस्त्र,।
❀ माता गौरी के लिए पूरा सुहाग का सामग्री, जिसमे चूड़ी, बिछिया, काजल, बिंदी, कुमकुम, सिंदूर, कंघी, महावर, मेहँदी आदि एकत्र की जाती हैं। इसके अलावा बाजारों में सुहाग पूड़ा मिलता हैं जिसमे सभी सामग्री होती हैं।
❀ घी, तेल, दीपक, कपूर, कुमकुम, सिंदूर, अबीर, चन्दन, नारियल, कलश।
पंचामृत: घी, दही, शक्कर, दूध, शहद।

संबंधित जानकारियाँ

भविष्य के त्यौहार
14 September 20263 September 2027
आवृत्ति
वार्षिक
समय
1 दिन
शुरुआत तिथि
भाद्रपद शुक्ला तृतीया
समाप्ति तिथि
भाद्रपद शुक्ला तृतीया
महीना
अगस्त / सितंबर
कारण
देवी पार्वती भगवान शिव को पति के रूप में पाती हैं।
उत्सव विधि
व्रत, पूजा, भजन कीर्तन।
महत्वपूर्ण जगह
उत्तर भारत
पिछले त्यौहार
6 September 2024, 18 September 2023, 30 August 2022, 9 September 2021
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