उत्तर भारत की विवाहित महिलाओं के बीच लोकप्रिय त्यौहार मे से एक है, यह हरियाली तीज का त्यौहार। हरियाली तीज का उत्सव श्रावण मास में शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाया जाता है। इसे श्रावणी तीज, हरितालिका तीज, सिंधारा तीज व छोटी तीज के नाम से भी जाना जाता है। हरियाली तीज का त्यौहार हरियाली अमावस्या के दो दिन के बाद मनाया जाता है।
नाथद्वारा के श्रीजी मंदिर मे हरियाली तीज को परम पूज्या श्री राधारानी को समर्पित करते हुए इसे ठाकुरानी तीज नाम दिया गया है। ठकुरानी तीज के दिन राजस्थान के राजपुताना राज-घरानों में विशेष महत्व है, इसे छोटी तीज भी कहा जाता है।
मुख्यत: यह स्त्रियों का त्यौहार है। भारत में इस समय वर्षा ऋतु होने के कारण, इस समय प्रकृति चारों तरफ हरियाली की चादर सी बिछा देती है, तो प्रकृति की इस छटा को देखकर मन पुलकित होकर नाच उठता है। हरियाली तीज पर विवाहित महिलाएं नए कपड़े, गहने पहन कर अपने मायके / पीहर जातीं हैं। महिलाएं पारम्परिक परिधान और पूर्ण श्रृंगार धारण किए समूह में लोक गीतों को गा-गाकर झूले का आनंद लेतीं हैं।
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संबंधित अन्य नाम | सिंधारा तीज, छोटी तीज, श्रावण तीज, श्रावणी तीज, हरितालिका तीज, ठाकुरानी तीज |
शुरुआत तिथि | श्रावण शुक्ल तृतीया |
कारण | देवी पार्वती विवाह के उपरांत अपने मातृ घर लौटीं। |
उत्सव विधि | भजन कीर्तन, झूले, मेले। |
हरियाली तीज गीत
हरियाली तीज | मालिनी की पाठशाला
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