भारत में कई ऐसे महापुरुषों का जन्म हुआ है, जिन्होंने अपने अनुभव और ज्ञान से पूरी दुनिया का मार्गदर्शन किया है। ऐसे ही एक महान व्यक्ति हैं स्वामी दयानंद सरस्वती जो पशु बलि, जाति व्यवस्था, बाल विवाह और महिलाओं के खिलाफ भेदभाव जैसी सामाजिक बुराइयों का विरोध करने वाले पहले व्यक्ति थे।
महर्षि दयानंद सरस्वती जयंती कब मनाई जाती है?
महान संत दयानंद सरस्वती का जन्म 19वीं शताब्दी में हुआ था। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, आर्य समाज के संस्थापक और आधुनिक भारत के महान विचारक और समाज सुधारक महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती की जयंती फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की दशमी को मनाई जाती है।
महर्षि दयानंद सरस्वती के संस्थापक सिद्धांत:
उनका दृढ़ विश्वास था कि हिंदू धर्म अपने संस्थापक सिद्धांतों से अलग हो गया था और वैदिक विचारधाराओं को पुनर्जीवित करने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। स्वामी दयानंद ने आर्य समाज की स्थापना की, एक एकेश्वरवादी भारतीय हिंदू सुधार आंदोलन जो वेदों के अचूक अधिकार में विश्वास के आधार पर मूल्यों और प्रथाओं को बढ़ावा देता है।
उन्होंने 1875 में मुंबई में आर्य समाज की स्थापना की। आर्य समाज की स्थापना का मुख्य उद्देश्य शारीरिक, आध्यात्मिक और सामाजिक प्रगति है।
स्वामी दयानन्द ने आर्य समाज के नियमों के रूप में विश्व को 10 सूत्र दिए हैं। यदि इनका पालन किया जाए तो पृथ्वी पर हर जगह सुख, संतोष और शांति का राज्य स्थापित किया जा सकता है।
संबंधित अन्य नाम | दयानंद जयंती, महर्षि दयानंद सरस्वती जयंती |
शुरुआत तिथि | फाल्गुन कृष्णा दशमी |
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