आश्विन शुक्ल प्रतिपदा अर्थात नवरात्री के प्रथम दिवस को महाराज अग्रसेन के जन्म दिवस के रूप में अग्रसेन जयंती मनाई जाती है। महाराज अग्रसेन का जन्म द्वापर युग के अंत में भगवान श्री कृष्ण के समकालीन हुआ था।
अग्रसेन राजा वल्लभ सेन के सबसे बड़े पुत्र थे, महाभारत युद्ध में पांडवो के पक्ष में युद्ध किया था। इनका विवाह अत्यंत रूपवती नाग कन्या माधवी से हुआ था।
महाराज अग्रसेन के 18 पुत्र थे, उन 18 पुत्रों को यज्ञ का संकल्प दिया गया, जिन्हें 18 ऋषियों ने पूरा करवाया। इन ऋषियों के आधार पर वैश्य समाज के सहायक गौत्रों की उत्त्पत्ति हुई।
अग्रवाल समाज में अग्रसेन जयंती सबसे बड़े पर्व के रूप में मनाई जाती हैं। संपूर्ण समाज एकत्र होकर जयंती को हर्ष-उल्लास के साथ भव्य शोभा यात्राओं एवं पूजा पाठ के आयोजित करता है। वैश्य समाज के अंतर्गत आने वाले अग्रवाल समाज के साथ-साथ जैन, महेश्वरी, खंडेलवाल आदि समाज भी इस आयोजन को बड़ी ही धूम-धाम से मानते हैं।
अग्रोहा धाम वैश्य समाज में महाराज अग्रसेन जी का सबसे प्रतिष्ठित धार्मिक स्थल है। जहाँ अग्रसेन जयंती पर लाखों भक्त दर्शन हेतु पधारते हैं।
संबंधित अन्य नाम | महाराज अग्रसेन जयंती |
शुरुआत तिथि | आश्विन शुक्ल प्रतिपदा |
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