Follow Bhakti Bharat WhatsApp Channel
Hanuman Chalisa - Hanuman ChalisaDownload APP Now - Download APP NowAditya Hridaya Stotra - Aditya Hridaya StotraFollow Bhakti Bharat WhatsApp Channel - Follow Bhakti Bharat WhatsApp Channel

रुद्राभिषेक क्या है ? (What is Rudravishek?)

अभिषेक शब्द का शाब्दिक अर्थ है – स्नान कराना। रुद्राभिषेक का अर्थ है भगवान रुद्र का अभिषेक अर्थात शिवलिंग पर रुद्र के मंत्रों के द्वारा अभिषेक करना। यह पवित्र-स्नान रुद्ररूप शिव को कराया जाता है। वर्तमान समय में अभिषेक, रुद्राभिषेक के रुप में ही विश्रुत है। अभिषेक के कई रूप तथा प्रकार होते हैं। शिव जी को प्रसंन्न करने का सबसे श्रेष्ठ तरीका है रुद्राभिषेक करना अथवा श्रेष्ठ ब्राह्मण विद्वानों के द्वारा कराना। वैसे भी अपनी जटा में गंगा को धारण करने से भगवान शिव को जलधाराप्रिय माना गया है।
रुद्राभिषेक क्यों किया जाता हैं?
रुद्राष्टाध्यायी के अनुसार शिव ही रूद्र हैं और रुद्र ही शिव है। रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र: अर्थात रूद्र रूप में प्रतिष्ठित शिव हमारे सभी दु:खों को शीघ्र ही समाप्त कर देते हैं। वस्तुतः जो दुःख हम भोगते है उसका कारण हम सब स्वयं ही है हमारे द्वारा जाने अनजाने में किये गए प्रकृति विरुद्ध आचरण के परिणाम स्वरूप ही हम दुःख भोगते हैं।

रुद्राभिषेक की पूर्ण विधि
रुद्राष्टाध्यायी के एकादशिनि रुद्री के ग्यारह आवृति पाठ किया जाता है। इसे ही लघु रुद्र कहा जाता है। यह पंच्यामृत से की जाने वाली पूजा है। इस पूजा को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। प्रभावशाली मंत्रो और शास्त्रोक्त विधि से विद्वान ब्राह्मण द्वारा पूजा को संपन्न करवाया जाता है। इस पूजा से जीवन में आने वाले संकटो एवं नकारात्मक ऊर्जा से छुटकारा मिलता है।

रुद्राभिषेक से लाभ
शिव पुराण के अनुसार किस द्रव्य से अभिषेक करने से क्या फल मिलता है अर्थात आप जिस उद्देश्य की पूर्ति हेतु रुद्राभिषेक करा रहे है उसके लिए किस द्रव्य का इस्तेमाल करना चाहिए का उल्लेख शिव पुराण में किया गया है उसका सविस्तार विवरण प्रस्तुत कर रहा हू और आप से अनुरोध है की आप इसी के अनुरूप रुद्राभिषेक कराये तो आपको पूर्ण लाभ मिलेगा।रुद्राभिषेक अनेक पदार्थों से किया जाता है और हर पदार्थ से किया गया रुद्राभिषेक अलग फल देने में सक्षम है जो की इस प्रकार से हैं ।

रुद्राभिषेक कैसे करे
1) जल से अभिषेक
हर तरह के दुखों से छुटकारा पाने के लिए भगवान शिव का जल से अभिषेक करें– भगवान शिव के बाल स्वरूप का मानसिक ध्यान करें– ताम्बे के पात्र में ‘शुद्ध जल’ भर कर पात्र पर कुमकुम का तिलक करें– ॐ इन्द्राय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें

2) दूध से अभिषेक
शिव को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाने के लिए दूध से अभिषेक करें– भगवान शिव के ‘प्रकाशमय’ स्वरूप का मानसिक ध्यान करें– ताम्बे के पात्र में ‘दूध’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें– ॐ श्री कामधेनवे नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें

3) फलों का रस
अखंड धन लाभ व हर तरह के कर्ज से मुक्ति के लिए भगवान शिव का फलों के रस से अभिषेक करें– भगवान शिव के ‘नील कंठ’ स्वरूप का मानसिक ध्यान करें– ताम्बे के पात्र में ‘गन्ने का रस’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें– ॐ कुबेराय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें

4) सरसों के तेल से अभिषेक
ग्रहबाधा नाश हेतु भगवान शिव का सरसों के तेल से अभिषेक करें– भगवान शिव के ‘प्रलयंकर’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें– ताम्बे के पात्र में ‘सरसों का तेल’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें– ॐ भं भैरवाय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें

5) चने की दाल
किसी भी शुभ कार्य के आरंभ होने व कार्य में उन्नति के लिए भगवान शिव का चने की दाल से अभिषेक करें– भगवान शिव के ‘समाधी स्थित’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें– ताम्बे के पात्र में ‘चने की दाल’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें– ॐ यक्षनाथाय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें

6) काले तिल से अभिषेक
तंत्र बाधा नाश हेतु व बुरी नजर से बचाव के लिए काले तिल से अभिषेक करें– भगवान शिव के ‘नीलवर्ण’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें– ताम्बे के पात्र में ‘काले तिल’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें– ॐ हुं कालेश्वराय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें

7) शहद मिश्रित गंगा जल
संतान प्राप्ति व पारिवारिक सुख-शांति हेतु शहद मिश्रित गंगा जल से अभिषेक करें– भगवान शिव के ‘चंद्रमौलेश्वर’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें– ताम्बे के पात्र में ” शहद मिश्रित गंगा जल” भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें– ॐ चन्द्रमसे नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें

8) घी व शहद
– रोगों के नाश व लम्बी आयु के लिए घी व शहद से अभिषेक करें– भगवान शिव के ‘त्रयम्बक’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें– ताम्बे के पात्र में ‘घी व शहद’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें– ॐ धन्वन्तरयै नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें

9 ) कुमकुम केसर हल्दी
आकर्षक व्यक्तित्व का प्राप्ति हेतु भगवान शिव का कुमकुम केसर हल्दी से अभिषेक करें– भगवान शिव के ‘नीलकंठ’ स्वरूप का मानसिक ध्यान करें– ताम्बे के पात्र में ‘कुमकुम केसर हल्दी और पंचामृत’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें – ‘ॐ उमायै नम:’ का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें

ज्योर्तिलिंग-क्षेत्र एवं तीर्थस्थान में तथा शिवरात्रि-प्रदोष, श्रावण के सोमवार आदि पर्वो में शिव-वास का विचार किए बिना भी रुद्राभिषेक किया जा सकता है। वस्तुत: शिवलिंग का अभिषेक आशुतोष शिव को शीघ्र प्रसन्न करके साधक को उनका कृपापात्र बना देता है और उनकी सारी समस्याएं स्वत: समाप्त हो जाती हैं। अतः हम यह कह सकते हैं कि रुद्राभिषेक से मनुष्य के सारे पाप-ताप धुल जाते हैं।

स्वयं श्रृष्टि कर्ता ब्रह्मा जी ने भी कहा है की जब हम अभिषेक करते है तो स्वयं महादेव साक्षात् उस अभिषेक को ग्रहण करते है। संसार में ऐसी कोई वस्तु, वैभव, सुख नही है जो हमें रुद्राभिषेक करने या करवाने से प्राप्त नहीं हो ।

हर हर महादेव…हर हर महादेव

What is Rudravishek? in English

The literal meaning of the word Rudrabhishek is - to bathe or to make. Rudrabhishek means the consecration of Bhagwan Rudra, that is, the anointing of the Shivling with the mantras of Rudra.
यह भी जानें

Blogs Rudravishek BlogsMasik Shivratri BlogsShivratri BlogsBhole Baba BlogsShiv Shankar BlogsSambhu Blogs

अगर आपको यह ब्लॉग पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस ब्लॉग को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

कुंभ मेला 2025 जानकारी

कुंभ मेला 2025 तथ्य: भक्तों के लिए टोल फ्री और व्हाट्सएप नंबर जारी किए गए

वैशाख मास 2025

वैशाख मास पारंपरिक हिंदू कैलेंडर में दूसरा महीना होता है। यह महीना ग्रेगोरियन कैलेंडर में अप्रैल और मई के साथ मेल खाता है। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में इसे दूसरे महीने के रूप में गिना जाता है। गुजराती कैलेंडर में, यह सातवां महीना है। पंजाबी, बंगाल, असमिया और उड़िया कैलेंडर में वैशाख महीना पहला महीना है।

फाल्गुन मास 2025

फाल्गुन मास हिंदू पंचांग का अंतिम महीना है, जिसके बाद हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। चैत्र हिंदू पंचांग के बारह महीनों में पहला महीना है, और फागुन आखिरी महीना है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन मास फरवरी या मार्च में आता है।

माघ मास 2025

हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ का महीना ग्यारहवां महीना होता है। माघ मास की पूर्णिमा चन्द्रमा और अश्लेषा नक्षत्र में होती है, इसलिए इस मास को माघ मास कहा जाता है। माघ मास में सुख-शांति और समृद्धि के लिए पूजा किया जाता है।

पौष मास 2025

पौष मास, यह हिंदू महीना मार्गशीर्ष मास के बाद आता है, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार 10वां महीना है।

ISKCON एकादशी कैलेंडर 2025

यह एकादशी तिथियाँ केवल वैष्णव सम्प्रदाय इस्कॉन के अनुयायियों के लिए मान्य है | ISKCON एकादशी कैलेंडर 2025

तनखैया

तनखैया जिसका अर्थ है “सिख पंथ में, धर्म-विरोधी कार्य करनेवाला घोषित अपराधी।

Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Ganesh Aarti Bhajan - Ganesh Aarti Bhajan
×
Bhakti Bharat APP