Download Bhakti Bharat APP
Hanuman Chalisa - Hanuman ChalisaDownload APP Now - Download APP NowAditya Hridaya Stotra - Aditya Hridaya StotraFollow Bhakti Bharat WhatsApp Channel - Follow Bhakti Bharat WhatsApp Channel

सूर्य ग्रहण दिवाली 2022 (Surya Grahan on Diwali 2022)

सूर्य ग्रहण दिवाली 2022
दीपावली के पावन पर्व की शुरुआत धनतेरस से ही होजाती है। धनतेरस से भैया दूज तक दिवाली मनाई जाती है। इस वर्ष दिवाली का पावन पर्व 24 अक्टूबर 2022 को कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जा रहा है। लेकिन इस साल 2022 की दिवाली पर सूर्य ग्रहण (Surya Grahan) की छाया नजर आ रही है।
सूर्य ग्रहण 2022 का दीपावली पूजा पर प्रभाव
लक्ष्मी पूजा के अगले दिन सूर्य ग्रहण होगा, इसलिए दूसरे दिन गोवर्धन पूजा होगी। ग्रहण दिवाली के अगले दिन पड़ेगा, इसलिए सूतक आधी रात के बाद शुरू होगा। ज्योतिषियों के अनुसार सूर्य ग्रहण से लक्ष्मी पूजा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इस बार चतुर्दशी युक्त अमावस्या को दिवाली मनाई जाएगी। वहीं, 8 नवंबर को देव दिवाली पर चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan) का प्रभाव रहेगा।

सूर्य ग्रहण दीपावली के अगले दिन 25 अक्टूबर को होगा। सूर्य ग्रहण केवल अमावस्या तिथि को होता है और दिवाली भी अमावस्या को होती है। इस बार कुछ ऐसा संयोग बन रहा है कि दिवाली की रात से ही सूतक काल शुरू हो जाएगा।

सूर्य ग्रहण 2022 का समय
❀ सूर्य ग्रहण 2022 भारतीय समयानुसार शाम 4:29 बजे से शुरू होगा और शाम 5:24 बजे तक सूर्य ग्रहण रहेगा। ग्रहण का सूतक 24 अक्टूबर की मध्यरात्रि से 12 घंटे पहले शुरू होगा।
❀ सूतक काल दिवाली की रात यानी 24 अक्टूबर को 02:30 बजे शुरू होगा और 25 अक्टूबर की सुबह 04:22 बजे तक चलेगा और ग्रहण करीब 4 घंटे 3 मिनट का होगा।

शास्त्रों के अनुसार ऐसी स्थिति 27 साल पहले 1995 में बनी थी जब दिवाली के दिन ही सूर्य ग्रहण हुआ था।

सूतक काल में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
❀ ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूतक काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।
❀ सूतक काल में खाना न बनाएं और न ही खाएं।
❀ इस दौरान अपने दांतों को ब्रश न करें और अपने बालों में कंघी न करें।
❀ सूतक काल में गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए।

22 अक्टूबर 2022 - धनतेरस, प्रदोष व्रत, आयुर्वेद दिवस, धन्वंतरि जयंती, बटेश्वर मेला आरंभ
23 अक्टूबर 2022 - मासिक शिवरात्रि, काली चौदस, एक दीपक दिवाली
24 अक्टूबर 2022 - दीवाली, लक्ष्मी पूजा, नरक चतुर्दशी, महावीर जी निर्वाण दिवस, बंदी छोड़ दिवस, दर्श अमावस्या
26 अक्टूबर 2022 - गोवर्धन पूजा, अन्नकूट, भाई दूज, यम द्वितीया, चित्रगुप्त पूजा

आइए कुछ क्लिक्स द्वारा जानें! प्रकाश से भरे इस उत्सव की कुछ विशेषताएँ, आरतियाँ, भजन, मंत्र एवं रोचक कथाएँ...

दिवाली/दीपावली क्यों, कब, कहाँ और कैसे?
दीवाली / लक्ष्मी पूजा
धनतेरस
नरक चतुर्दशी, रूप चतुर्दशी
गोवर्धन पूजा / अन्नकुट
भाई दूज
बंदी छोड़ दिवस

आरती:
आरती श्री गणेश जी
आरती माँ लक्ष्मीजी
श्री कुबेर जी की आरती
श्री गोवर्धन महाराज आरती
श्री विश्वकर्मा जी की आरती
माँ अन्नपूर्णा की आरती
आरती श्री रामचन्द्र जी की कीजै
आरती कुंजबिहारी की
श्री खाटू श्याम जी आरती
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी
श्री महावीर प्रभु आरती
भगवान श्री चित्रगुप्त जी की आरती
स्तुति: जय चित्रगुप्त यमेश तव
माँ सरस्वती आरती
श्री राम स्तुति: श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन
ॐ जय जगदीश हरे आरती

मंत्र:
श्री गणेश - वक्रतुण्ड महाकाय
श्री महालक्ष्मी अष्टक
श्री लक्ष्मी सुक्तम् - ॐ हिरण्यवर्णां हरिणींसुवर्णरजतस्रजाम्
भाग्यद लक्ष्मी बारम्मा
श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम
कनकधारा स्तोत्रम्: अङ्गं हरेः पुलकभूषणमाश्रयन्ती
श्री लक्ष्मी के 108 नाम - श्रीलक्ष्मीष्टोत्तरशतनामावलिः
श्रीमहालक्ष्मीस्तोत्रम् विष्णुपुराणान्तर्गतम्
श्री कुबेर अष्टोत्तर शतनामावली - 108 नाम

दामोदर अष्टकम
श्री राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे
श्री लक्ष्मी नारायण स्तोत्रम्
श्री राम रक्षा स्तोत्रम्
श्री राम नाम तारक
श्री दशावतार स्तोत्र: प्रलय पयोधि-जले
अन्नपूर्णा स्तोत्रम् - नित्यानन्दकरी वराभयकरी

दीप प्रज्वलन मंत्र
महिषासुरमर्दिनि स्तोत्रम् - अयि गिरिनन्दिनि
दैनिक हवन-यज्ञ विधि
शांति पाठ
ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः
णमोकार महामंत्र

कथा:
भैया दूज पौराणिक कथा
भैया दूज लोक कथा
यम द्वितीया: चित्रगुप्त की कथा
कार्तिक मास माहात्म्य कथा
जब भगवान राम के राजतिलक में निमंत्रण से छूटे भगवान चित्रगुप्त

चालीसा:
श्री कुबेर चालीसा
श्री लक्ष्मी चालीसा
श्री गणेश चालीसा
श्री चित्रगुप्त चालीसा
माँ सरस्वती जी
श्री खाटू श्याम चालीसा

भजन:
सजा दो घर को गुलशन सा
आओ भोग लगाओ प्यारे मोहन
श्री राम जी की जगमग जगमग जोत जली है
तुम से लागी लगन, पारस प्यारा
श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी
अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं

Surya Grahan on Diwali 2022 in English

The holy festival of Deepawali begins with Dhanteras itself. Diwali is celebrated from Dhanteras to Bhaiya Dooj. This year the holy festival of Diwali is being celebrated on 24th October 2022 on the Amavasya of Kartik month. But this year on Diwali of 2022, the shadow of the surya grahan is visible.
यह भी जानें

Blogs Surya Grahan On Diwali 2022 BlogsDiwali BlogsDeepawali BlogsDhanteras BlogsNarak Chaturdasi BlogsRoop Chaturdashi BlogsRoop Chaudas BlogsKali Chaudas BlogsBandi Chhor Divas BlogsAnnakut Pooja BlogsBhai Dooj BlogsBhaiya Dooji BlogsBhai Tika BlogsMahalakshmi Puja BlogsBandi Chhor Divas BlogsAnnakut BlogsChitragupt BlogsChit Blogs

अगर आपको यह ब्लॉग पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस ब्लॉग को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

पौष मास 2024

पौष मास, यह हिंदू महीना मार्गशीर्ष मास के बाद आता है, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार 10वां महीना है।

अधूरा पुण्य

दिनभर पूजा की भोग, फूल, चुनरी, आदि सामिग्री चढ़ाई - पुण्य; पूजा के बाद, गन्दिगी के लिए समान पेड़/नदी के पास फेंक दिया - अधूरा पुण्य

तुलाभारम क्या है, तुलाभारम कैसे करें?

तुलाभारम और तुलाभरा जिसे तुला-दान के नाम से भी जाना जाता है, एक प्राचीन हिंदू प्रथा है यह एक प्राचीन अनुष्ठान है। तुलाभारम द्वापर युग से प्रचलित है। तुलाभारम का अर्थ है कि एक व्यक्ति को तराजू के एक हिस्से पर बैठाया जाता है और व्यक्ति की क्षमता के अनुसार बराबर मात्रा में चावल, तेल, सोना या चांदी या अनाज, फूल, गुड़ आदि तौला जाता है और भगवान को चढ़ाया जाता है।

महा शिवरात्रि विशेष 2025

बुधवार, 26 फरवरी 2025 को संपूर्ण भारत मे महा शिवरात्रि का उत्सव बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जाएगा। महा शिवरात्रि क्यों, कब, कहाँ और कैसे? | आरती: | चालीसा | मंत्र | नामावली | कथा | मंदिर | भजन

नया हनुमान मन्दिर का प्राचीन इतिहास

नया हनुमान मन्दिर को उन्नीसवीं शती के आरम्भ में सुगन्धित द्रव्य केसर विक्रेता लाला जटमल द्वारा 1783 में बनवाया गया।

तनखैया

तनखैया जिसका अर्थ है “सिख पंथ में, धर्म-विरोधी कार्य करनेवाला घोषित अपराधी।

कल्पवास

प्रयाग के संगम तट पर एक माह रहकर लोग कल्पवास करते हैं। यह परम्परा सदियों से चली आ रही है। ’कल्पवास‘ एक ऐसा व्रत है जो प्रयाग आदि तीर्थों के तट पर किया जाता है।

Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Om Jai Jagdish Hare Aarti - Om Jai Jagdish Hare Aarti
×
Bhakti Bharat APP