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स्नान यात्रा (Snana Yatra)

स्नान यात्रा
स्नान यात्रा जो कि देवस्नान पूर्णिमा या स्नान पूर्णिमा नाम से भी जाना जाता है। यह यात्रा हिंदू माह ज्येष्ठ की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला एक औपचारिक भगवान जगन्नाथ का भव्य स्नान उत्सव है।
❀ हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह वर्ष का पहला अवसर है, जब भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, सुभद्रा, सुदर्शन और मदनमोहन को पुरी जगन्नाथ मंदिर गर्भगृह से बाहर मंदिर परिसर के अंदर स्नान मंडप तक ले जाया जाता है।

❀ भगवान को औपचारिक रूप से शुद्ध पानी के 108 चांदी के कलश से स्नान कराया जाता है और सार्वजनिक दर्शकों के लिए सजाया जाता है।

❀ शाम को, स्नान अनुष्ठान के समापन पर, जगन्नाथ और बलभद्र को भगवान गणेश वेश मैं सजाई जाती है। भगवान के इस स्वरूप को 'गजानन बेश' कहा जाता है।

पारंपरिक रूप से माना जाता है कि स्नान यात्रा के बाद भगवान बीमार पड़ जाते हैं और उन्हें राज वैद्य की देखरेख में एकांत में स्वस्थ होने के लिए बीमार कमरे में रखा जाता है। राज वैद्य द्वारा दी गई आयुर्वेदिक दवा से देवता एक पखवाड़े में ठीक हो जाते हैं।

Snana Yatra in English

Snana Yatra which is also known as Devasnana Purnima or Snana Purnima.
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