Download Bhakti Bharat APP
Hanuman Chalisa - Hanuman ChalisaDownload APP Now - Download APP NowAditya Hridaya Stotra - Aditya Hridaya StotraFollow Bhakti Bharat WhatsApp Channel - Follow Bhakti Bharat WhatsApp Channel

संकष्टी चतुर्थी और विनायक चतुर्थी में क्या अंतर है? (Difference between Sankasthi Chaturthi and Vinayak Chaturthi?)

चंद्र मास पर आधारित हिंदू कैलेंडर में हर महीने में दो चतुर्थी होती हैं, एक शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में। शास्त्रों के अनुसार अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी जो पूर्णिमा के बाद आती है उसे संकष्टी चतुर्थी कहते हैं।
हिंदू शास्त्रों और पुराणों के अनुसार ये दोनों चतुर्थी तिथियां भगवान गणेश को समर्पित हैं। जो लोग भगवान गणेश को अपना अधिष्ठाता देवता मानते हैं, वे आकर इस दिन विधि-विधान से व्रत रखकर उनकी पूजा करते हैं। भगवान गणेश को हिंदू धर्म में अग्रेपुज्य आदिदेव कहा जाता है।

संकष्टी चतुर्थी और विनायक चतुर्थी का व्रत क्यों करें?
हिंदू शास्त्रों के अनुसार हर महीने विनायक चतुर्थी और संकष्टी चतुर्थी को विघ्नहर्ता श्री गणेश की पूजा और व्रत करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। विनायक चतुर्थी व्रत उन लोगों द्वारा किया जाता है जो रिद्धि-सिद्धि (धन, विद्या, स्वामित्व आदि) की इच्छा रखते हैं, जबकि संकष्टी चतुर्थी जीवन में बाधाओं के शमन (अंत) के उद्देश्य से मनाई जाती है। मान्यता के अनुसार, इन दोनों तिथियों पर भक्त रात में चंद्रमा के उदय होने के बाद ही दूध और पानी से चढ़ाकर और फूल, फल, मिठाई आदि चढ़ाकर अपना उपवास तोड़ते हैं।

इस प्रकार विनायक चतुर्थी और संकष्टी चतुर्थी का व्रत हर महीने में किया जाता है, लेकिन गणेश चतुर्थी भादों महीने की चतुर्थी तिथि को ही मनाई जाती है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था यानि गणेश चतुर्थी उनके जन्मदिन का पर्व है। यह त्यौहार पश्चिमी भारत, विशेषकर महाराष्ट्र में उल्लेखनीय तरीके से मनाया जाता है।

गणेश उत्सव के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें।

Difference between Sankasthi Chaturthi and Vinayak Chaturthi? in English

According to the law of scriptures, the Chaturthi of Shukla Paksha which comes after the new moon is called Vinayak Chaturthi and the Chaturthi of Krishna Paksha which comes after the full moon is called Sankashti Chaturthi.
यह भी जानें

Blogs Ganesh Chaturthi BlogsVinayak Chaturthi BlogsGanesh Puja BlogsSankashti Chaturthi Blogs

अगर आपको यह ब्लॉग पसंद है, तो कृपया शेयर, लाइक या कॉमेंट जरूर करें!

Whatsapp Channelभक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »
इस ब्लॉग को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें Add To Favorites
* कृपया अपने किसी भी तरह के सुझावों अथवा विचारों को हमारे साथ अवश्य शेयर करें।

** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें

पौष मास 2024

पौष मास, यह हिंदू महीना मार्गशीर्ष मास के बाद आता है, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार 10वां महीना है।

अधूरा पुण्य

दिनभर पूजा की भोग, फूल, चुनरी, आदि सामिग्री चढ़ाई - पुण्य; पूजा के बाद, गन्दिगी के लिए समान पेड़/नदी के पास फेंक दिया - अधूरा पुण्य

तुलाभारम क्या है, तुलाभारम कैसे करें?

तुलाभारम और तुलाभरा जिसे तुला-दान के नाम से भी जाना जाता है, एक प्राचीन हिंदू प्रथा है यह एक प्राचीन अनुष्ठान है। तुलाभारम द्वापर युग से प्रचलित है। तुलाभारम का अर्थ है कि एक व्यक्ति को तराजू के एक हिस्से पर बैठाया जाता है और व्यक्ति की क्षमता के अनुसार बराबर मात्रा में चावल, तेल, सोना या चांदी या अनाज, फूल, गुड़ आदि तौला जाता है और भगवान को चढ़ाया जाता है।

महा शिवरात्रि विशेष 2025

बुधवार, 26 फरवरी 2025 को संपूर्ण भारत मे महा शिवरात्रि का उत्सव बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जाएगा। महा शिवरात्रि क्यों, कब, कहाँ और कैसे? | आरती: | चालीसा | मंत्र | नामावली | कथा | मंदिर | भजन

नया हनुमान मन्दिर का प्राचीन इतिहास

नया हनुमान मन्दिर को उन्नीसवीं शती के आरम्भ में सुगन्धित द्रव्य केसर विक्रेता लाला जटमल द्वारा 1783 में बनवाया गया।

तनखैया

तनखैया जिसका अर्थ है “सिख पंथ में, धर्म-विरोधी कार्य करनेवाला घोषित अपराधी।

कल्पवास

प्रयाग के संगम तट पर एक माह रहकर लोग कल्पवास करते हैं। यह परम्परा सदियों से चली आ रही है। ’कल्पवास‘ एक ऐसा व्रत है जो प्रयाग आदि तीर्थों के तट पर किया जाता है।

Hanuman Chalisa - Hanuman Chalisa
Aditya Hridaya Stotra - Aditya Hridaya Stotra
×
Bhakti Bharat APP