भक्तमाल | सारदा देवी
वास्तविक नाम - सारदामणि मुखोपाध्याय
अन्य नाम - क्षेमंकरी, ठाकुरमणि
गुरु -
रामकृष्ण परमहंस
आराध्य - माँ काली
जन्म - 22 दिसम्बर 1853 (पौष कृष्ण सप्तमी)
जन्म स्थान - जॉयरामबती, पश्चिम बंगाल
वैवाहिक स्थिति: विवाहित
भाषा - बांग्ला, संस्कृत
पति -
रामकृष्ण परमहंस
पिता - रामचन्द्र मुखोपाध्याय
माता - श्यामा सुंदरी देवी
प्रसिद्ध - आध्यात्मिक गुरु माता
श्री सारदा देवी, जिन्हें पवित्र माता के नाम से भी जाना जाता है, रामकृष्ण परमहंस की पत्नी और रामकृष्ण मिशन की आध्यात्मिक प्रमुख थीं। जब वह मात्र 10 वर्ष की थीं, तब उनका विवाह रामकृष्ण से कर दिया गया।
सारदा देवी एक कट्टर हिंदू और अद्वैत वेदांत दर्शन की अनुयायी थीं। वह एक आध्यात्मिक शिक्षिका और उपचारक भी थीं। कई हिंदू उन्हें संत मानते हैं।
श्री शारदा देवी की शिक्षाएं और उद्धरण:
❀ जीवन का लक्ष्य ईश्वर को प्राप्त करना है। इसे प्रेम, भक्ति और दूसरों की सेवा के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।
❀ दुनिया हमारे अपने मन का प्रतिबिंब है। अगर हम दुनिया को बदलना चाहते हैं, तो हमें पहले खुद को बदलना होगा।
❀ सबसे बड़ा उपहार जो हम दूसरों को दे सकते हैं वह है हमारा प्यार और करुणा।
❀ सच्ची ख़ुशी भीतर से आती है। इसे बाहरी चीज़ों में नहीं पाया जा सकता।
❀ हम सब एक हैं। हम सब जुड़े हुए हैं।
श्री सारदा देवी एक शक्तिशाली आध्यात्मिक गुरु और सभी के लिए एक आदर्श हैं। उनकी शिक्षाएँ सभी लोगों के लिए कालातीत और प्रासंगिक हैं, चाहे उनका धर्म या विश्वास कुछ भी हो।